घर और घोंसला!
हे सेनाओं के यहोवा हे मेरे राजा और मेरे परमेश्वर तेरी वेदियों में गौरैया ने अपना बसेरा और शूपाबेनी ने घोंसला बना लिया है जिसमें वह अपने बच्चे रखे। (भजन 84:3)
भजनकार जो मंदिर के भीतर आया अचानक वेदियों की तरफ उसने देखा, एक घर गौरैया के लिए और एक घोंसला शूपाबेनी के लिए है ताकि वह अपने बच्चों को रखे । वह आश्चर्यचकित था। गौरैया ने अपना घर वहां बनाया और गौरैया ने अपने बच्चों को वहां रखा था।
इस भजन का अनुवादक इसकी मूल भाषा इब्रानी में अपने दृष्टिकोण को यूं व्यक्त कर रहा है, मानो वचन यह पूछता हुआ दिखाई देता है,"गौरैया के लिए एक घर है शूपाबेनी के लिए भी घोंसला है ताकि वे अपने बच्चों को रख सकें, परंतु मेरा घोंसला कहां है?"
कई अवसरों पर हम इस तरह सोचते हैं।"मेरा घोंसला कहां है? क्या इस दुनिया में हमारे लिए कोई घोंसला नहीं? क्या मैं एक अजनबी और परदेसी की तरह भटक नहीं रहा हूं? क्या मेरे लिए कोई स्थाई शहर नहीं है?"
यीशु मसीह ने लूका 9:58 में कहा,"यीशु ने उस से कहा लोमड़ीयों के भट और आकाश के पक्षियों के बसेरे होते हैं पर मनुष्य के पुत्र को सिर धरने की भी जगह नहीं।"
मसीह की दया गोरैया को घोंसला बनाने के योग्य बनाती है। यद्यपि, वह बहुत सस्ती चिड़िया है और काफी कम दामों में बेची जाती है। यद्यपि, वह एक छोटी चिड़िया है और मनुष्य के पास शरण के लिए भागती है। परंतु परमेश्वर उससे प्रेम करता है और उसने उसे वेदी के पास जगह दी है।
जरा इन शब्दों के बारे में सोचें 'घोंसला' और 'घर'। घोंसला स्थाई नहीं होता है किंतु घर होता है। बच्चे जो घोंसले में रहते हैं और जब वे बड़े हो जाते हैं तो घोंसले को छोड़ देते हैं। इसी तरह आप भी अपने जीवन को इस दुनिया में , घोसले में जीते हैं।
आपकी एक पत्नी और बच्चे हैं, यह केवल एक घोंसला है और यह घर नहीं है। आप जिस सदा काल के बासस्थान को तलाश रहे हैं वह घर है। वह स्वर्गीय घर है। वह परमेश्वर का घर है। जब आप पृथ्वी के घोसले में रहते हैं तब उसकी करुणा और भलाई जीवन भर आपके साथ रहती है। जब आप यह घोंसला छोड़ देते हैं तब आप हमेशा के लिए परमेश्वर के घर में वास करेंगे।
जब हम एक व्यक्ति को सुसमाचार का प्रचार करते हैं तब हम यह प्रश्न रखते हैं , "आज यदि आप मर जाएंगे तो अनंत काल का जीवन कहां व्यतीत करेंगे?" यह प्रश्न एक इंसान को सोचने पर मजबूर कर देता है, उसे यह सोचने पर विवश करता है कि उसे एक सदा काल के घर की एवं उसके आश्वासन कीआवश्यकता है। परमेश्वर के प्यारे बच्चों, आपमें एक दृढ़ आशा होना चाहिए ,"क्योंकि हम जानते हैं कि जब हमारा पृथ्वी पर का डेरा सरीखा घर गिराया जाएगा तो हमें परमेश्वर की ओर से स्वर्ग पर एक ऐसा भवन मिलेगा जो हाथों से बना हुआ घर नहीं परंतु चिर स्थाई है"(2कुरिन्थियों 5:1)।
ध्यान के लिए:"मेरे पिता के घर में बहुत से रहने के स्थान हैं यदि ना होते तो मैं तुमसे कह देता क्योंकि मैं तुम्हारे लिए जगह तैयार करने जाता हूं" (यूहन्ना 14:2)